फास्टैग से सरकार की रोजाना हो रही 42 करोड़ की कमाई, दिसंबर महीने में कमाए 1256 करोड़ रुपए





नेशनल हाईवे के टोल प्लाजा पर रविवार 15 दिसंबर से वाहनों के लिए फास्टैग अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि पहले एक महीने यानि कि 14 जनवरी तक हर हाईवे पर एक-चौथाई टोल बूथ पर नकद और फास्टैग दोनों से भुगतान हो सकेगा। फास्टैग व्यवस्था लागू होने के बाद से दिसंबर में सरकार को इन टोल प्लाजा से रोजना 40 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाई होने लगी है। इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम के तहत अब तक 1.15 करोड़ से ज्यादा फास्टैग जारी किए जा चुके हैं। एनएचएआई ने कहा है कि अब रोजाना करीब 1 लाख फास्टैग की बिक्री हो रही है।



ये हैं दिसंबर में फास्टैग से टोल कलेक्शन के आंकड़े 
दिसंबर 2019 में देश के नेशनल हाइवे पर टोल प्लाजा में फास्टैग से करीब 6 करोड़ 40 लाख ट्रांजेक्शन हुए हैं। इनमें 1256 करोड़ रुपए की आमदनी सरकार को हुई है। यह रोज के हिसाब से 42 करोड़ रुपए के करीब है। नवंबर में टोल प्लाजा पर फास्टैग से 3 करोड़ 40 लाख ट्रांजेक्शन हुए थे। नवंबर में इन ट्रांजेक्शन से करीब 774 करोड़ रुपए की आमदनी सरकार को हुई थी। यह आंकड़े नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) की तरफ से जारी किए गए हैं। अक्टूबर 2019 में फास्टैग से 3 करोड़ 10 लाख ट्रांजेक्शन हुए थे, जिसमें सरकार को 703 करोड़ रुपए की आमदनी हुई थी।



15 जनवरी से फास्टैग रहेगा अनिवार्य  
अगर 15 जनवरी तक भी वाहन पर फास्टैग नहीं लगाया जाता है तो टोल प्लाजा से गुजरने पर वाहन चालक को दोगुना टोल टैक्स देना पड़ेगा। 15 जनवरी के बाद बिना फास्टैग वाले वाहनों के लिए कोई भी लैन नहीं रहेगी। सभी लैन फास्टैग वालों के लिए रहेंगी।



फास्टैग से पार्किंग और फ्यूल का भी कर सकेंगे भुगतान



  • टोल टैक्स पर टैक्स वसूली के अलावा जल्द ही पूरे देश में फ्यूल पेमेंट और वाहन पार्किंग चार्ज का भुगतान भी किया जा सकेगा। इसकी शुरुआत हैदराबाद एयरपोर्ट से हो चुकी है, जहां कार पार्किंग समेत अन्य चार्ज का भुगतान फास्टैग (FASTag) से होगा। इसे फास्टैग 2.0 नाम से जाना जाएगा। हैदराबाद में सफलता मिलने के बाद यह परियोजना दिल्ली हवाई अड्डे पर भी शुरू की जाएगी।

  • सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि फास्टैग 2.0 पायलट प्रोजेक्ट दो फेस में लॉन्च किया है। पहला चरण दरअसल एक नियंत्रित पायलट परीक्षण है, जिसके तहत केवल आईसीआईसीआई टैगों का ही इस्तेमाल किया जाएगा। पायलट परियोजना के दूसरे चरण में सभी अन्य बैंकों द्वारा जारी किए जाने वाले टैगों को कवर किया जाएगा।