प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल (मंगलवार) दोपहर एनसीसी कैडेट्स से मुखातिब होने वाले हैं. राजधानी दिल्ली में करियप्पा परेड ग्राउंड पर वो न सिर्फ इन कैडेट्स के गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण करेंगे, बल्कि उनके मार्च पास्ट को भी निहारेंगे और साथ में इन कैडेट्स की तरफ से पेश किये जाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी लुत्फ उठाएंगे. हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर देश भर से सैकड़ों की तादाद में एनसीसी कैडेट्स दिल्ली आते हैं. पिछले साल भी मोदी इन कैडेट्स के रिपब्लिक डे कैंप में गये थे और एनसीसी रैली को संबोधित किया था. कल भी मोदी यही करने वाले हैं.
दरअसल मोदी के लिए ये अपने छात्र जीवन की स्मृति को ताजा करने जैसा भी है, जब वो खुद एनसीसी के कैडेट हुआ करते थे. मोदी के बचपन की एकमात्र तस्वीर जो सामने है, ये वही तस्वीर है, जो बतौर एनसीसी कैडेट 1965 में खीची गयी थी. उस समय मोदी महज पंद्रह साल के थे और अपने जन्मस्थल वडनगर के बीएन हाईस्कूल के विद्यार्थी थे. एनसीसी के जूनियर डिविजन में थे मोदी. करीब दो साल तक मोदी एनसीसी में सक्रिय रहे थे और उस दौरान अनुशासन का पाठ उन्होंने बखूबी पढ़ा, जो एनसीसी के मूल में है. आजादी के तुरंत बाद 16 जुलाई 1948 को एनसीसी की स्थापना की गई थी, उसके पीछे सोच यही थी कि किशोर वय के छात्रों में अनुशासन, देश प्रेम और राष्ट्रीय एकता की भावना को सुदृढ किया जा सके.
मोदी के एनसीसी से जुड़ने की कहानी भी काफी रोचक है. वडनगर के बीएन हाईस्कूल में उनके इंस्ट्रक्टर थे गोरधनभाई पटेल. गोरधनभाई मूल तौर पर अंग्रेजी के शिक्षक थे और स्कूल में एनसीसी के जूनियर डिविजन आर्मी विंग की गतिविधियां उन्हीं की अगुआई में चलती थीं. फिलहाल 84 वर्ष के हो चुके गोरधनभाई को आज भी याद है कि छोटे कद का एक लड़का आठ-दस और बच्चों के साथ उनके पास आया था एनसीसी में शामिल होने की दरख्वास्त लेकर. एनसीसी के जूनियर डिविजन में शामिल होने के लिए कम से कम तेरह साल की आयु होनी चाहिए और सामान्य तौर पर अच्छी सेहत की उम्मीद भी की जाती है. गोरधन भाई ने जब उस बालक को देखा तो पहली नजर में तो यही ख्याल आया कि उसे एनसीसी के लिए रिजेक्ट कर दें, लेकिन उस बच्चे की आंखों में कुछ ऐसी चमक और चेहरे पर ऐसा दृढ विश्वास था कि वो ना नहीं कर सके और अपेक्षाकृत कमजोर सेहत और छोटे कद वाले इस बच्चे का टेस्ट लेने का मन बना लिया, साथ आये उन आठ-दस बच्चों के साथ, जो नन्हें नरेंद्र की तुलना में ज्यादा स्वस्थ और अधिक उंचाई वाले थे.