जेडीयू (JDU) नेता और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) इन दिनों काफी बेचैन दिख रहे हैं, पिछले करीब एक महीने में प्रशांत किशोर के ट्विटर हैंडल को देखें तो साफ पता चलता है कि पीके एक के बाद एक लगातार भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के नेताओं के खिलाफ ट्वीट कर रहे हैं. प्रशांत कहते हैं कि जेडीयू को बिहार (Bihar) में बीजेपी (BJP) से ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए फिर कहते हैं, फिर जेडीयू सुप्रीमों नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के बिहार में सीएम फेस (CM Face) बताते हैं बाद सुशील मोदी (Sushil Modi) के पुराने वीडियो के बहाने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हैं और अब तो उन्होंने अमित शाह (Amit Shah) के बयान का विरोध करने के बहाने अपनी बी पार्टी और गठबंधन को हराने की अपील कर दी है.
अमित शाह के विरोध के बहाने क्या पीके ने पार की लक्ष्मण रेखा
दिल्ली में बीजेपी और जेडीयू पहली बार गठबंधन में सीटे का बटावारा कर चुनाव लड़ रहे हैं , ऐसे में प्रशांत किशोर की टिप्पणी को ठीक से समझें तो साफ है अपने ही पार्टी और गठबंधन के खिलाफ वोट की अपील कर पीके ने राजनीति को वो लक्ष्मणरेखा पार कर दी है जिसे पार्टी वीरोध कहते हैं हालांकि इन सबके बाद भी जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पूरे मामले पर चुप है । नीतीश कुमार गाहे-बगाहे इशारों इशारों में प्रशांत किशोर के बयानों का खंडन तो कर देते हैं लेकिन जिस तरह पवन वर्मा के खिलाफ उन्होंने कड़ी शब्दों का प्रयोग किया उस तरह की तल्ख टिप्पणी वो प्रशांत किशोर के खिलाफ करने से अब तक बचते नजर आ रहे हैं
पीके के इन बयानों के पीछे क्या है असली वजह
पीके को नीतीश कुमार के मुख्य रणनीतिकारों में से एक माना जाता है. प्रशांत किशोर लगातार भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ बयान बाजी कर रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार कह रहे हैं कि गठबंधन में सब कुछ ठीक है. यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी कह चुके हैं कि भारतीय जनता पार्टी और जेडीयू में सब ठीक-ठाक है और आने वाले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमारी ही बीजेपी-जेडीयू गठबंधन का सीएम चेहरा होंगे. साफ है प्रशांत जो बोल रहे हैं वह पार्टी लाइन नहीं है, लेकिन फिर पीके ऐसा बोल क्यों रहे हैं. क्या प्रशांत किशोर नीतीश कुमार के इशारे पर बयान दे रहे हैं या पीके और नीतीश में सब कुछ ठीक ठाक नहीं है.
राहुल-सोनिया की तारीफ कर चुके हैं पीके
इस बात को समझने के पहले अगर हम प्रशांत किशोर के ट्विट को देखें तो पीके राहुल गांधी और सोनिया गांधी की सीएए पर स्टैंड की तारीफ भी कर चुके हैं. प्रशांत किशोर कि आधिकारिक तौर पर ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी के राजनीतिक रणनीतिकार हैं और ये दोनों वो चेहरे हैं, जिनका नीतीश कुमार से आधिकारिक तौर पर विरोध है. बिहार में जहां कांग्रेस नीतीश के खिलाफ आरजेडी गठबंधन का हिस्सा है, वहीं ममता बनर्जी की पूरी राजनीत भारतीय जनता पार्टी के विरोध की राजनीति है, जबकि नीतीश उसके समर्थन में सरकार चला रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रशांत किशोर इन दोनों की सवारी में अब बैलेंस बनाने में लगे हैं या पीके नीतीश कुमार को छोड़ने के लिए रास्त बानने में लगे हैं.